नमस्ते, जीवन में हमे कही बार सुख और दुःख दोनों की सहायता से जीते है। जीवन में सुख और शांति से जीना सभी मानव जाती का सपना होता है। लेकिन कही बार हमे दुःख का भी सामना करना पड़ता है, वो सामने से आये वरना हम से आए उसका सामना करने की ताकद चाहिए। हमे दुःख का सामना करते समय ये भूलना नहीं चाहिये की ये भी दिन जायेंगे। उस वक्त हम बोलने की स्थिति में नहीं होते, तभी हम स्टेटस रख के दिल की बात रख सकते है। हम लेकर आए है। सच्चे प्यार पर कविता,रुलाने वाली कविता, दूरी पर कविता,अधूरे प्यार की कविता,तुम पर कविता, ये शेयर कीजिये।
Sad Poem In Hindi
बरसात के बूँदों की आवाज़ में,
अकेले पन का दर्द पिघलता है।
छुपाई हुई ख्वाबों की परछाइयाँ,
अब तन्हाईयों में उम्मीद बिखरती है।
आसमान की सारी राहें ख़त्म हो जाएँ,
और दिल की गहराइयों में रास्ते बने।
खोये हुए अरमानों की गहराई में,
एक अजनबी सी धड़कन बस रहे।
रात की गहराई में खोए हुए सितारे,
धुंधले से रास्ते पर रौशनी फैलाते हैं।
दिल के अंदर छुपे दर्द के गीतों को,
ज़मीन पर धुन में लूट कर बहलाते हैं।
अधूरी सी ख़्वाहिशों की चाह में,
यादों की बारात रुक सी जाती है।
दर्द भरी खुशियों का सफर ये,
अक्सर अधूरा ही क्यों कट जाती है।
बिखरते इश्क़ की कहानियों में,
ज़िन्दगी की तलाश खो जाती है।
आँसू बहते हैं एक अजनबी से,
और दिल धड़कता है वीरान सी ज़मीन पर।
रुलाने वाली कविता
धुंधला सा एक अजनबी सवाल हूँ,
खोया हुआ एक अधूरा जवाब हूँ।
बेज़ुबान दिल की कहानियों को,
कविता के रूप में लिख जाता हूँ।
अकेले आसमान के तले,
मैं बिखरा हुआ था तन्हा सा।
धुंदली सी रोशनी में छुपे,
काले बदलों के गहरा सा।
बरस रहे थे आंसू बेहाली से,
जैसे मेरी ख्वाहिशों का सफर है।
पलकों पे थे बिखरे ख्वाबों के छाये,
भटकती रहीं खोई सी राहें।
आशाओं की घटाएं ढली थीं,
धुंधले सपनों की आहटें।
हर ख़्वाब था बिखरा हुआ दर्द,
मेरे अंदर की विरानी में।
आज भी वही बरसात है बारिश की,
पर बिखरे ख्वाब अब नहीं मिलते।
कुछ खो बैठे हैं हम अपने ही साथी,
और अब वह वक़्त फिर नहीं आता।
जीवन की ये कठिन राहें दोस्तों,
कभी ना कभी तो कटेंगी।
मगर जो गया वक़्त वापस नहीं आता,
ज़िन्दगी के सब मोड़ पलटेंगी।
यादों के जाल में फंसे रहेंगे,
बीती बातों पे अब तक रोयेंगे।
पर जिंदगी की ये चाहत है हमें,
कभी न कभी हम खुद को पा लेंगे।
जीने की आरज़ू में दिल बहले,
कभी हंसें और कभी रोयें।
बस यही तो है ज़िंदगी का सबक,
हर दर्द सहें और मुस्कराएं।
बिखरी हुई खुशियों के टुकड़े,
धूल में मिल गए हैं ये रुसवाएं।
बह गई आंसुओं की बूँदें,
किसी के आँचल में छिप गईं वो दर्दभरी भवरें।
राहों में बिखर गईं सपनों की मल्लिकाएं,
वक्त के साए में हो गए ये बेख़बर सफर।
मन में छाई हुई है तन्हाई,
बेचैनी से बसर है ये ज़िन्दगी बेअधिकारी।
धड़कनें सुनाई दे रहीं हैं दर्द की कहानी,
ख्वाबों की सूनी हुई कहानी।
आँखों में छाई है आहट उसकी,
पलकों पर हुई अब तक़दीर की नकाबदारी।
टूट गए हैं इस दरिया के किनारे,
बेहतर था ख़ुद को खो देते समंदर के प्याले में।
सच्चे प्यार पर कविता
कह गई है अब ये तस्कीरें ये बेख़बर सफर,
रह जाएंगे बस ये रिश्ते हमारे।
आज भी उनके ख्वाबों में हैं हम खोए,
बिखरी हुई खुशियों के टुकड़े,
धूल में मिल गए हैं ये रुसवाएं।
बैरगिन हैं हम, तनहा सफर के मुसाफिर,
धुँदले रास्तों में, खोए हुए सफर के मुसाफिर।
रूह की तलाश में, छाया है अँधेरा,
खोजते हैं हम, पाने को सवेरा।
बिखरे हुए ख्वाबों की ढेरी,
भटकते रहते हैं, इल्जामों की धूप में।
मिलते नहीं अब वो गुलशन की खुशबू,
खो चुके हैं हम, खुद को अपने ही ख्वाबों में।
आँसूओं की बौछार से भीगी है ये जिंदगी,
उम्मीदों की चिंगारी से जलती है ये जिंदगी।
जुदा हुए अब वो तारे सितारों से,
टूटे हुए हैं हम, ख्वाबों के रास्तों में।
सूनी सी राहों पर, खड़े हैं अब तन्हा,
हम भटकते रहे, खोए हुए सफर के मुसाफिर।
भूल गए हैं अब वो आँखों के नम सफर,
खो चुके हैं हम, खुद को अपने ही ख्वाबों में।
धीरे-धीरे बिखरती जाएं धुले रंग,
जैसे धुंध में छिपा ध्वनि का संग।
उदास अंगन में टिमटिमाएं तारे,
छुप जाते हैं दरिया के पारे।
सूखी पत्तियों की तरह हैं यादें,
छलक जाती हैं आँखों से बरसातें।
क्यों तोड़ते हो तुम सपनों की धार,
आयी थी मधुरता से भरी बहार।
दूरी पर कविता
जीवन के पथ पर खड़े हैं अकेले,
बिखरी ख्वाइशें, जलती राहें जिवन की सेले।
धीरे-धीरे बिखरती जाएं धुले रंग,
जैसे धुंध में छिपा ध्वनि का संग।
सब कुछ रह जाता है विलीन,
बस एक ख्वाब सा रह जाता है अधूरा।
खो जाता है वक्त की नौकरी में,
दर्द सहते हैं हम हँसते-हँसते।
ख्वाबों की राह में खो जाते हैं हम,
खुद को भूल जाते हैं हम।
धीरे-धीरे बिखरती जाएं धुले रंग,
जैसे धुंध में छिपा ध्वनि का संग।
कुछ रंगीन पल थे, खुद को भूल गए,
वक्त के रुक जाने पर, खुद को ढूंढ ना पाए।
जीवन की गति है अद्भुत और तेज,
बदले में हम खुद को खो बैठे।
धीरे-धीरे बिखरती जाएं धुले रंग,
जैसे धुंध में छिपा ध्वनि का संग।
खो जाते हैं रास्तों में, खुद को बिखरे हुए,
मिलते हैं खुद को, फिर से हम नज़रे उठाते हुए।
हसरतें, आशाएं, सपने टूट जाते हैं,
खुद को ढूंढते हैं, पर खुद को न पाते हैं।
धीरे-धीरे बिखरती जाएं धुले रंग,
जैसे धुंध में छिपा ध्वनि का संग।
जब जागती है तन्हाई रात में,
खुद को खो जाते हैं हम सब रास्तों में।
धीरे-धीरे बिखरती जाएं धुले रंग,
जैसे धुंध में छिपा ध्वनि का संग।
बरसात के रिमझिम में भीगी हुई रातों में,
धुएं के रास्तों में खोई हुई बातों में।
अधूरे प्यार की कविता
कागज़ पर उलझी हुई कहानी ज़िंदगी की,
आंसुओं से भिगी आँखों में छुपी यादों में।
वक़्त के धरा पर बहते लहू के बूंदों में,
बिखरी हुई आस के तुकड़े अलग-अलग रास्तों में।
ज़िन्दगी के कुछ पन्ने थे सुख के संग जुड़े,
पर धूप के पीछे छुपी थी कड़वी हक़ीक़तों में।
हर ख़्वाब टूटा जाने किसके अधूरे ख़्वाबों में,
मिट गई हर मुस्कान छुपी थी अनजान अहसासों में।
आज भी उम्मीद है कुछ सवेरे नये आने की,
पर धड़कनों में छुपी है वो ख़ुशियों की आसों में।
कहानी ख़त्म हो गई इस दर्द भरे दरिया में,
और मोहब्बत के अश्क सिर्फ यादों के साहिलों में।
हर उम्मीद टूटी जाने किस ग़म के आंचल में,
बिखरी हुई राहों में खो गया वो आशियाँ।
चले जाएँगे हम किसी अनजान रास्ते पर,
बस यादें रह जाएँगी वो गुज़रे पलों में।
कभी न मिलेंगे वो ख़्वाब फिर से आँखों में,
पर उन्हें छुपा लेंगे दिल के गहराईयों में।
अब तन्हाई की ये रातें बड़ी ही बेरंग हैं,
ख़्वाबों की दुनिया में खोए हुए ज़मानों में।
ख़्वाबों के पीछे खो गया हूँ,
ख़ुद को खो गया हूँ।
मेरे अंदर उबलता दर्द है,
और ख़्वाबों में बसा अल्हड़ता हूँ।
धुले चेहरे में छुपे अज़ाब हैं,
अनजान आंखों में बसी उदासियाँ हूँ।
ख़्वाबों के पीछे खो गया हूँ,
ख़ुद को खो गया हूँ।
आँसूओं के रास्ते बिछा दिए हैं,
हसरतों के सफर पर मैं विखरा हूँ।
धुंधले अँधेरे में खड़ा हूँ,
अपनी ही ख़ामोशियों में गुम हूँ।
ख़्वाबों के पीछे खो गया हूँ,
ख़ुद को खो गया हूँ।
तुम पर कविता
राहों में बिखरी छांव हूँ,
अपनी ही तलाश में भटका हूँ।
आज फिर से ख़्वाब सजाता हूँ,
पर उनमें ख़ुद को खो गया हूँ।
ख़्वाबों के पीछे खो गया हूँ,
ख़ुद को खो गया हूँ।
हार गया हूँ अपने आप से,
और अब ख़ुद को ढूंढता हूँ।
ये ज़िन्दगी है या एक ख़्वाब,
मैं ख़ुद अपने सवालों में डूबता हूँ।
ख़्वाबों के पीछे खो गया हूँ,
ख़ुद को खो गया हूँ।
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